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भारत का योद्धा
हर पल जान हथेली लेके यह सैनिक की शान है
शोलों को जो सीना देदे उस का यह गुणगाण है।
चल पड़ा जब महावीर देश की रक्षा करने को
नम आँखो से ममता ने भी कर दिया ऐलान है
शोलों को जो सीना देदे उस का यह गुणगाण है।
बीवी बोली सम्भल के रहना शत्रु बहुत शैतान है
ना जाने कब सिर फिर जाए उसको बड़ा गुमान है
शोलों को जो सीना देदे उस का यह गुणगाण है।
घर पर बालक छोटे हैं कुछ अनहोनी न हो जाए
तेरी सुरक्षा बहुत जरूरी तू तो सब की जान है
शोलों को जो सीना देदे उस का यह गुणगाण है।
बहते आँसूँ तिलक लगाते बोली रखना मान है
रक्षा तेरी मालिक कर दे मेरा का तू आभिमान है
शोलों को जो सीना देदे उस का यह गुणगाण है।
माँ पल्लू में गाँठ लगायी दूध का कर्ज नहीं तुम भूलो
देश तेरा परिवार है बेटा यह मेरा आह्वान है
शोलों को जो सीना देदे उस का यह गुणगाण है।
सैनिक का कर्तव्य निभाना एक के बदले दस सिर लाना
चाहे अपनी जान गंवाना यही कोख का मान है
शोलों को जो सीना देदे उस का यह गुणगाण है।
देश को अपनी माता मानो कोई नजर बुरी ना डाले
तू वंषज है वीरों का रक्त बहाना शान है
शोलों को जो सीना देदे उस का यह गुणगाण है।
मुरझाई ऑखो से बापू कह ना पाया अपने मन की
दरवाजे पर नजर टिकाए नाज करे बलवान है
शोलों को जो सीना देदे उस का यह गुणगाण है।
रक्षा करनी है इसको इस बाप की यह जुबान है
दिल रोया पर आँख न छलकी दुर्बलता का प्रमाण है
शोलों को जो सीना देदे उस का यह गुणगाण है।
आना चाहे कफन लपेटे देश की आन को आँच न आए
सदियों से यह परम्परा है यह जनक फरमान है
शोलों को जो सीना देदे उस का यह गुणगाण है।
माँ का दूध व आस्था तेरी उस पर आँच न आने दूँगा
कट जाए चाहे सिर ही मेरा यह मेरा अरमान है
शोलों को जो सीना देदे उस का यह गुणगाण है।
बाहर खडा मित्र यह बोला चलो देर न करना भाई
भारत के हम वीर पूत है और शत्रु का शमशान है
शोलों को जो सीना देदे उस का यह गुणगाण है।
यह सुन दोनों बच्चे उसके आँसू बहते बोले बापू
वीर की आन को छू न सका है कोई भी शैतान है
शोलों को जो सीना देदे उस का यह गुणगाण है।
उस माँ-बाप का साहस देखो पत्थर बना है सीना जिसका
खुशी-खुशी वह देश को देते बली अपनी संतान है
शोलों को जो सीना देदे उस का यह गुणगाण है।
वीर कभी ना मरता है जीवित रहता बस नाम है
वह तो देश का प्रहरी है और धरती का तूफान है
शोलों को जो सीना देदे उस का यह गुणगाण है।
नाज करे हर वासी उस पर जिसके कारण शाँति है
उसके रहते है निरापद, नहीं तो कहॉ यह जान है
शोलों को जो सीना देदे उस का यह गुणगाण है।
रवि धर